श्योपुर जिले की प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन विभाग द्वारा जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद के माध्यम से कार्यशाला/बैठक का आयोजन माह दिसंबर 2020 के अंतर्गत होने जा रहा है। जिसमें श्योपुर जिले में स्थित प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में चर्चा की जावेगी।
प्रमुख सचिव पर्यटन एवं टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक श्री शिवशेखर शुक्ला ने स्थानीय पर्यटन संभावनाओं को चिन्हित करने के लिये सभी संभाग मुख्यालयों पर कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश दिये हैं। पर्यटन विभाग द्वारा जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषदों के माध्यम से आयोजित होने वाली इन कार्यशालाओं की श्रंखला में पहली बैठक इसी माह श्योपुर में होगी। कार्यशाला में सवाईमाधोपुर, ग्वालियर, शिवपुरी आदि के टूर ऑपरेटर, ब्लागर, इन्फ्लूएंसर आदि भाग लेंगे। इससे प्राकृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों से भरपूर श्योपुर जिले को देश और प्रदेश स्तर पर महत्व मिलने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।
कलेक्टर श्री राकेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि राजस्थान के कोटा, बारा और सवाई माधोपुर जिलों से लगी हुई सीमाओं वाले श्योपुर जिले का लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र वनों से आच्छादित है। यहां बहने वाली कूनो, चंबल, सीप, क्वारी नदी खूबसूरती में चार चाँद लगाती हैं। सड़क और रेल नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा जिला नवीं-दसवीं शताब्दी से ही अनेक राजाओं की राजधानी रहा है। गोंड राजाओं का किला आज भी आकर्षण का केन्द्र है। जिले के पर्यटन स्थलों को चिन्हित कर दिल्ली, आगरा, जयपुर आदि से आने वाले पर्यटकों के लिये विकसित किया जायेगा। राजस्थान के राणथंबौर नेशनल पार्क आने वाले पर्यटकों को भी नजदीक ही नये-नये पर्यटन क्षेत्र मिल सकेंगे।
कभी सिंहों से आबाद रह चुके कूनो राष्ट्रीय उद्यान को पुन गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान से सिंह लाकर पुन बसाहट के लिये तैयार किया गया है। यहां तेंदुआ, जंगली बिल्ली, भालू, भेडि़या, सियार, लकड़बग्घा, चीतल, सांभर, चिंकारा, बारहसिंघा, कृष्णमृह, जंगली सूअर, सेही, मगर, घडि़याल, कछुए आदि वन्यप्राणी पाये जाते हैं। इसी प्रकार लगभग 130 तरह की पछी प्रजातियां भी देखने को मिलती हैं। इसके अलावा ऐतिहासिक स्थल डोब कुण्ड, बड़ौदा, श्योपुर में धु्रव कुण्ड, गर्म एवं ठंडे पानी का कुण्ड चंबल, सीप और बनास नदी के संगम पर रामेश्वर और विजयपुर में स्थित मुस्लिम आस्था प्रमुख केन्द्र भी हैं।
नोबल कोरोना वायरस कोविड-19 के मद्देनजरं पर्यटकों का रुझान बदला है, लोग दूरस्थ और भीड़-भाड़ स्थलों की अपेक्षा नये और शांत वातावरण में जाना पसंद कर रहे हैं। प्राकृतिक, पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध शांति के टापू मध्यप्रदेश की पर्यटन में तेजी से लोकप्रियता बढ़ रही है। जिसके अंतर्गत जिला प्रशासन एवं पर्यटन परिषद द्वारा श्योपुर जिले के पर्यटन एवं ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने के प्रयास जारी है।
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प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर से समृद्ध होगा श्योपुर
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