फसलों को पाले से बचाने हेतु उपाय अपनाने की सलाह - पी के गुजरे

 उप संचालक ’’आत्मा’’ श्री पी गुजरे ने बताया है कि सर्दी के मौसम में उगाई जाने वाली अधिकांश फसलें पाले से प्रभावित हो सकती है उक्त के दृष्टिगत सब्जी और फल पाले के लिये अधिक संवेदनशील होते है और पाला पड़ने से फसलों को अधिकांश या पूर्ण रूप से हानि हो सकती  है, तापमान में अत्याधिक कमी होने के कारण पाला पडने की आशंका आमतौर पर इस समय होती है।

    उप संचालक ने किसानों को बताया कि जब रात के समय वायुमंडल का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या उससे नीचे चला जाता है, और अचानक हवा बंद हो जाती है तो भूमि के धरातल के आसपास घास फूस एवं पौधो की पत्तियों पर बर्फ की पतली परत जम जाती है, इस पतली परत को पाला कहते है।
   उन्होंने कहा कि रबी फसलों पर जिस दिन विशेषकर तापमान कम हो शाम को हवा चलना बंद हो जाये ओर रात्रि में आसमान साफ एवं आद्रता प्रतिशत कम हो उस रात पाला पडनें की संभावना अधिक होती है। पाला पडने की संभावना होने पर रात 12 से 2 बजे के आसपास खेत की उत्तर-पश्चिम दिश से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में खेत के किनारे पर बोई गई फसलों के आसपास मेढो पर घासफूस एकत्र कर धूऑ करके फसलों को पाले से बचाया जा सकता है। इसी प्रकार हल्की सिंचाई करने से भी फसलों को पाले से बचाया जा सकता है।
    जिस दिन पाला पडने की संभावना हो उस दिन जलविलेय सल्फर 80 की 500 ग्राम मात्रा प्रति एकड की दर से छिडकाव किया जा सकता है। अथवा 10 से 15 प्रतिषत गौमूत्र का घोल फसलो पर छिडकाव करने से भी फसलों को पाले से बचाया जा सकता है।  

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